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बीकानेर के खेतों में निशुल्क मिलती है यह जड़ी बूटी, फायदे जानकर आप रह जाएंगे

आज हम जी जड़ी बूटी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं यह जड़ी बूटी राजस्थान प्रदेश के बीकानेर जिले के खेतों में आपको निशुल्क मिल जाएगी। जी हां हम बात कर रहे हैं आक के पौधे की जो लाइलाज बीमारियों में भी जड़ी बूटी का काम करता है। यह पौधा बीकानेर के खेतों में आपको बंपर मात्रा में निशुल्क मिल जाएगा। 
 
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शुगर, अस्थमा सहित इन बीमारियों को दूर करने हेतु आक के पौधे का किया जाता है प्रयोग

Aak Leaves: देश में लाखों लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हैं। यह लोग प्रतिदिन अपनी बीमारियों के इलाज हेतु अस्पताल के चक्कर काटते हुए दिखाई दे जाएंगे। अपनी बीमारी के इलाज के दौरान अस्पताल स्टाफ द्वारा मरीज से मोटी रकम भी वसूल ली जाती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की एक ऐसा पोधा जो शुगर (Diabetes) सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों में जड़ी बूटी का काम करता है वह आपको निशुल्क मिल सकता है। 

आज हम जी जड़ी बूटी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं यह जड़ी बूटी राजस्थान प्रदेश के बीकानेर जिले के खेतों में आपको निशुल्क मिल जाएगी। जी हां हम बात कर रहे हैं आक के पौधे की जो लाइलाज बीमारियों में भी जड़ी बूटी का काम करता है। यह पौधा बीकानेर के खेतों में आपको बंपर मात्रा में निशुल्क मिल जाएगा। 

बीकानेर जिले के रहने वाले अजय साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे खेतों में आज का पौधा काफी मात्रा में पाया जाता है। अजय साहू के अनुसार दूर-दूर से सैकड़ो लोग प्रतिवर्ष इस पौधे के पत्ते लेने के लिए बीकानेर जिले में पहुंचते हैं। इस पौधे को ले जाने पर किसानों द्वारा लोगों से किसी प्रकार का चार्ज भी नहीं लिया जाता है। 

विशेष जड़ी बूटी के रूप में मशहूर आक के पौधे को अंग्रेजी में कैलोट्रोप (Giant Calotrope) बोला जाता है। के नाम से जानते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कैलोट्रोपिल गिगनटी (Calotropis Gigantea) है। इस पौधे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं। 

शुगर, अस्थमा सहित इन बीमारियों को दूर करने हेतु आक के पौधे का किया जाता है प्रयोग

आक के पौधे में अनेक ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। शुगर जैसी लाइलाज बीमारी के साथ-साथ अस्थमा और स्किन से संबंधित गंभीर बीमारियों को भी ठीक करने में हमारी मदद करता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए

आक के मुलायम पत्ते किसी वरदान से कम नहीं होते हैं। बताया जाता है कि आक के पत्तों को पैर के तलवों पर लगाकर जुराब पहन कर सोने से शुगर लेवल कंट्रोल हो जाता है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डायबिटीज के उपचार हेतु इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा स्वर्णभस्म में भी आक के रस का इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल डायबिटीज के उपचार में किया जाता है। इस पौधे में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में काफी सहायक होते हैं।

आक के फूलों को सूखा कर नियमित रूप से अस्थमा रोगियों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा आक के पत्तों उपयोग बवासीर के रोगियों के उपचार हेतु भी किया जाता है। बवासीर के रोगी आक की पत्तियों और को पानी में कुछ घंटे भिगोने के बाद बाहर निकाल लेते हैं और उसे पानी का सेवन करते हैं।

आक का पौधा स्किन में रूखापन और खुलजी की समस्या को दूर करने में भी जड़ी बूटी का काम करता है। स्किन में खुजली को दूर करने हेतु इसकी जड़ों को जलाकर राख में सरसो का तेल मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाया जाता है।

नोट - ऊपर बताई गई जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। आक के पौधे का प्रयोग करने से पहले हेल्थ केयर प्रोफेशनल से सलाह अवश्य लें।