Rajasthan में गायों पर मंडराया खतरा, फैला रहस्यमई रोग, अब तक 500 से अधिक गायों की हुई मौत
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Rajasthan News (Jaisalmer) राजस्थान के जैसलमेर जिले में कर्रा रोग (बोटुलिज्म) ने गंभीर रूप ले लिया है।तापमान में वृद्धि के साथ यह बीमारी तेजी से फैल रही है और अब तक 500 से अधिक डेयरी गायों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पशुधन विभाग ने आधिकारिक तौर पर अभी तक केवल 200 मौतों की पुष्टि की है। पिछले साल भी इसी बीमारी से लगभग 1500 गायों की मौत हुई थी, जिसने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
पशु चिकित्सा सेवाएं बाधित:
500 से अधिक गायों की मौत ने किसानों के बीच चिंता को गहरा कर दिया है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब ये जानवर बरसात के मौसम में उनके निर्वाह का आधार हैं। जिले में स्वीकृत 200 पशु चिकित्सा केंद्रों में से 120 केंद्र बंद हैं या उनके पास कोई कर्मचारी नहीं है। पूनमनगर, सम,देवीकोट, संतों, नोख, भीखोड़ाई, लखा, राजमथाई, सांवला, बैरसियाला, रिदवा और खारिया जैसे क्षेत्रों में केंद्र बंद हैं।
कई जगहों पर डॉक्टर या कम्पाउंडर नहीं हैं। कई केंद्र पूरी तरह से कर्मियों के समर्थन से काम करते हैं, जिसने टीकाकरण, दवाओं के वितरण और बीमारियों के नियंत्रण जैसे प्रयासों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
4 से 5 दिनों में लेता है जान:
गौशालाओं में काम करने वाले एक विशेषज्ञ मानव व्यास के अनुसार, रोग करा (बोटुलिस्मो) मृत जानवरों के अवशेषों और हड्डियों को फैलाता है। बोटुलिनम विष क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु से उत्पन्न होता है जो जहर छोड़ता है। फॉस्फोरस की कमी से पीड़ित गायें इन अवशेषों को खाना शुरू कर देती हैं, जिससे वे संक्रमण की चपेट में आ जाती हैं और 4 से 5 दिनों के भीतर मर जाती हैं।
कई जगहों पर, मृत जानवरों को हवा में फेंका जा रहा है, जिससे संक्रमण अधिक फैलता है। जिले के प्रशासन ने पंचों और ग्रामीण विकास के अधिकारियों को वैज्ञानिक तरीके से जानवरों के शवों को फॉस में दफनाने का आदेश दिया है, लेकिन कई गांवों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
रोकथाम और उपचार
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वेरगंतीवार ने कहा कि पिछले दो महीनों में लगभग 200 गायों की कर्रा बीमारी से मौत होने की पुष्टि हुई है। संक्रमण की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने एक आपातकालीन बैठक की और पशुओं के शवों के सुरक्षित निपटान की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंप दी।
उन्होंने कहा, "हमारे पास दवाओं का पर्याप्त भंडार है। जैसे ही बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं, गाय को लगातार तीन दिनों तक 200-300 मिलीलीटर सक्रिय चारकोल तरल के साथ खिलाने की सलाह दी जाती है।इ ससे मृत्यु दर में काफी कमी आती है। इसके साथ ही रोजाना 50 ग्राम खनिज मिश्रण चूर्ण नमक के साथ देने से फॉस्फोरस की कमी पूरी होती है और इम्यूनिटी में भी सुधार होता है।