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Rajasthan : अब इस उम्र के छात्र नहीं ले पाएंगे कोटा, जयपुर और सीकर में कोचिंग, जानें पूरी खबर

Rajasthan : राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न शहरों में चल रहे कोचिंग सेंटरों के लिए नियंत्रण और विनियमन विधेयक लेकर आ रही है।

इस विधेयक के माध्यम से जहां कोचिंग सेंटरों की फीस की वृद्धि पर रोक लगाने की तैयारी है, वहीं 16 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने पर रोक रहेगी।

राजस्थान के कोटा, जयपुर और सीकर कोचिंग सेंटर को हब बना हुआ है। जहां पर छोटी उम्र में ही बच्चे प्रतिस्पर्धा पर पड़ रहे है और इसके कारण उनको मानसिक परेशानी का सामना करना पड रहा है।

इसके कारण इन कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले बच्चों के आत्महत्या करने की दर बढ़ गई है। सरकार द्वारा लगाए जा रहे नए विधयेक के चलते कोचिंग सेंटर संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है औ विधेयक आने से पहले ही विरोध होना शुरू हो गया है।


कोचिंग सेंटर संचालकों का कहना है कि अगर यह विधेयक लागू हो गया तो उनका काम धंधा ही ठप हो जाएगा। जहां पर कोचिंग लेने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी, वहीं अगर सरकार की तरफ से कोचिंग की फीस निर्धारित की जाएगी तो उनके लिए सेंटर चलाना मुश्किल हो जाएगा।

सरकार की तरफ से लाए जा रहे विधेयक में 16 साल से कम उम्र के छात्रों का इन कोचिंग सेंटरों पर प्रवेश पर रोक रहेगी। इसके अलावा दाखिले के लिए विद्यार्थियों का एप्टीट्यूड टेस्ट अनिवार्य किया जा रहा है।

इसके कारण सेंटर संचालकों को उनका कारोबार प्रभावित होने का डर सता रहा है।

आपको बता दे कि राजस्थान सरकार की तरऊ से आठ मार्च को कोचिंग सेंटरो के लिए विधेयक को मंजूरी दी थी और अब इसको विधानसभा में पेश किया जाएगा।

विधानसभा में पेश होते ही यह प्रदेश में लागू हो जाएगा। कोचिंग सेंटर संचालकों का कहना है कि पहले ही कोटा में छात्रों की संख्या में कमी आ गई है।

पिछले वर्षों के मुकाबले कोटा में 30 प्रतिशत छात्र कम हुए है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 40 हजार विद्यार्थी कम हो गए है। कोचिंग सेंटर संचालकों का कहना है कि अगर विधेयक आ गया तो उनके सामने सेंटर चलाना मुश्किल हो जाएगा।

इसका सीधा असर इन शहरों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों, हॉस्टलों और स्थानीय व्यापार पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष कोटा के 3,000 हास्टलों में से 60 प्रतिशत खाली रहे.

अगर सरकार ने अपने नियमों में ढील नहीं दी तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. लेकिन सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि विधेयक में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा.

सरकार का मानना है कि यह विधेयक लंबे समय से तैयार किया जा रहा था और जनता से सुझाव लेने के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया है. हमारा उद्देश्य छात्रों पर बढ़ते मानसिक तनाव को कम करना और कोचिंग सेक्टर को सुव्यवस्थित करना है.

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