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Rajasthan राजस्थान में भू-रूपांतरण प्रक्रिया सोलर प्रोजेक्ट में बनी रोड़ा, बीकानेर, जैसेलमेर समेत 3 जिलों को हुआ भारी नुकसान

Solar Project in Rajasthan: राजस्थान से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। सरकारी उपक्रमों और निजी विकासकर्ताओं द्वारा सौर परियोजना के लिए पहचानी गई भूमि भूमि परिवर्तन प्रक्रिया के नियमों और विनियमों में उलझ गई है। जिसका नुकशान कई जिलों को भुगतना पड़ रहा है।

3 से 4 हजार मेगावाट की परियोजना अटकी

अधिक जानकारी के लिए बता दे की इसके कारण 3 से 4 हजार मेगावाट की कई सौर परियोजनाएं अटकी हुई हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परियोजनाओं के लिए पहचानी गई भूमि में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की भूमि भी शामिल है।

कई डवलपर्स ने इन जमीन मालिकों से लीज एग्रीमेंट कर लिया, लेकिन राजस्व विभाग ने नियमों का हवाला देते हुए बिना भू-रूपांतरण कराए लीज एग्रीमेंट को अवैध बताया।

रूपांतरण की लंबी प्रक्रिया के कारण, कई परियोजनाओं को दूसरी भूमि की तलाश करनी पड़ती है। अक्षय ऊर्जा निगम ने राज्य सरकार से पट्टा समझौतों के नियमों में ढील देने का आग्रह किया है।

वर्तमान में भूमि परिवर्तन प्रक्रिया में चार से छह महीने लग रहे हैं। उन्होंने समय सीमा कम करने की मांग की। कुछ महीने पहले जयपुर में प्रधानमंत्री के सलाहकार तरुण कपूर ने अक्षय ऊर्जा में काम करने वाली बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी।

सोलर पार्क डेवलपर्स ने यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं के लिए बड़ी भूमि की आवश्यकता होती है, लेकिन बीच में एससी-एसटी भूमि भी आती है। ऐसे में भूमि परिवर्तन की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए।

बीकानेर, जालौर और जैसलमेर में नुकशान

बीकानेर, जालौर और जैसलमेर में भी इसी तरह की समस्याएं रही हैं। निगम के अधिकारियों के अनुसार, छोटी और बड़ी सहित लगभग पाँच सौ परियोजनाएं प्रभावित हैं। उनमें से अधिकांश ने भूमि परिवर्तन के लिए आवेदन किया है।

पहले, ऐसी परियोजनाओं के लिए एक संपर्क मार्ग होना अनिवार्य था, लेकिन डेवलपर्स की मांग के बाद, इसे रियायत दी गई। संपर्क मार्ग अब अवरुद्ध नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि मूल समस्या अभी भी बनी हुई है।

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