Indian Railways:- आगरा मंडल की 1341 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को मिलेगा डिजिटल सुरक्षा कवच
Indian Railways News:- आगरा रेल मंडल में यात्री सुविधाओं के साथ-साथ रेल बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आगरा मंडल में रेल पटरियों की आंतरिक संरचना की सूक्ष्म जांच के लिए अल्ट्रासोनिक लॉ डिटेक्शन (यूएसएफडी) तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
यह नवीनतम तकनीक रेल की पटरियों में समय के साथ उत्पन्न होने वाले आंतरिक दोषों को प्रारंभिक अवस्था में ही चिन्हित कर लेती है, जिससे आवश्यक अनुरक्षण कार्य समय पर पूरा किया जा सके और यात्री व मालगाडिय़ों का परिचालन पूरी तरह सुरक्षित और संरक्षित रह सके।
आगरा मंडल में वर्तमान में लगभग 1341 किलोमीटर ट्रैक की नियमित रूप से यूएसएफडी मशीनों से जांच की जा रही है। इस जांच की आवृत्ति ट्रेनों के आवागमन के घनत्व (जीएमटी) पर आधारित होती है और मंडल के विभिन्न सेक्शनों में प्रत्येक दो से चार माह में ट्रैक की जांच की जाती है।
लखनऊ व पुणे में मिलता प्रशिक्षण
आगरा मंडल के यूएसएफडी इंजीनियरों को समय-समय पर आरडीएसओ लखनऊ एवं इरिसेन पुणे जैसे संस्थानों में विशेषज्ञ प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। ताकि वे नवीनतम तकनीकी मानकों के अनुरूप कार्य कर सकें और संरक्षा में निरंतर सुधार किया जा सके।
यूएसएफडी तकनीक आज रेलवे की संरक्षा प्रणाली का एक अंग बन चुकी है। यह ट्रैक की विश्वसनीयता और स्थायित्व को सुनिश्चित करती है, बल्कि समय रहते खतरों की पहचान कर दुर्घटनाओं की रोकथाम में भी सहायक सिद्ध हो रही है।
आगरा मंडल में दस टीमों का गठन
मंडल में वर्तमान में कुल 10 यूएसएफडी टीमों का गठन किया गया हैद्ध जिनमें 15 प्रशिक्षित इंजीनियर कार्यरत हैं। ये सभी इंजीनियर बी.स्कैन यूएसएफडी मशीनों से लैस हैं, जो ट्रैक की आंतरिक स्थिति को डिजिटल रूप में दर्ज कर तुरंत विश्लेषण की सुविधा प्रदान करती हैं।
वेल्ड की सटीक जांच के लिए सभी टीमों को डिजिटल वेल्ड टेस्टर भी प्रदान किए गए हैंद्ध जिससे वेल्डिंग खामियों का सटीकता से पता लगाया जा सके। ट्रैक जांच के दौरान संपूर्ण कार्य का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जिसे विश्लेषण कर आवश्यक कार्रवाई की जाती है।
2024-25 में मंडल के स्तर पर 7058.5 किलोमीटर ट्रैक, 42456 वेल्ड, 4103 टर्नआउट और 4399 स्वीच एक्सपेंशन ज्वाइंट्स की सूक्ष्मता से जांच की गई। इस जांच के दौरान विभिन्न नए लॉ चिन्हित किए गए। जिनकी तत्काल मरमत कर दी गई। जिससे ट्रेनों के संचालन में कोई व्यवधान न आए और संरक्षा मानकों का पूर्ण पालन हो सके