राजस्थान के इस जिले में होगा देश का पहला जियो पार्क, यूनेस्को से विश्व विरासत का दर्जा मिलने का इंतजार
देश में मेहरानगढ़ पहाड़ी ही एकमात्र ऐसा भूभाग है, जहां सरकार ने दो राष्ट्रीय भू वैज्ञानिक स्मारक घोषित किए हैं, क्योंकि यहां विलक्षण भू विरासत पर्यटन तत्व 680 से 745 मिलियन साल पुरानी ज्वालामुखीय व अवसादी चट्टानों में पाए गए है।
india First Jeo Park : जोधपुर कला संस्कृति, खानपान और पहनावा के लिए विश्व वियात है। यहां एक से बढ़कर कर पर्यटन स्थल बेजोड़ धरोहर है। मेहरानगढ़ पहाड़ी पर स्थित विश्व की प्राचीनतम भू-विरासत देश की पहली जियो विरासत बनने के मानदंडों पर खरी उतरती है।
यदि इसे यूनेस्को की ओर से विश्व विरासत का दर्जा मिलता है, तो विश्व के मानचित्र पर भारत का पहला जियो पार्क जोधपुर में होगा, जो पश्चिमी राजस्थान के पर्यटन के नए अवसर देगा।
देश में मेहरानगढ़ पहाड़ी ही एकमात्र ऐसा भूभाग है, जहां सरकार ने दो राष्ट्रीय भू वैज्ञानिक स्मारक घोषित किए हैं, क्योंकि यहां विलक्षण भू विरासत पर्यटन तत्व 680 से 745 मिलियन साल पुरानी ज्वालामुखीय व अवसादी चट्टानों में पाए गए है।
यहां की ज्वालामुखीय चट्टानें विश्व में सबसे बड़े मालानी आग्नेय चट्टानों का भूभाग है, जिसका विस्तार विश्व में करीब 51 हजार वर्ग किमी क्षेत्र जैसे पश्चिमी राजस्थान, पाकिस्तान, सेसल्स, मेडागास्कर, पूर्वी अफ्रीका व ओमान जो पृथ्वी के सबसे प्राचीन सुपर महाद्वीप ‘रोडेनिया’ के भाग थे।
हाल ही के प्रमाणों से ज्ञात हुआ है कि पैन अफ्रीकन ओरोजनी की ओर से रोडेनिया महाद्वीप के विखण्डन स्वरूप जो ज्वालामुखी आए थे, उनके प्रमाण मेहरानगढ़ पहाड़ी पर विलक्षण भू विरासत पर्यटन के रूप में संरक्षित है।
दुर्लभ प्रजाति के जीव-जन्तु, वनस्पतियां
मेहरानगढ़ पहाड़ी पर बना राव जोधा पार्क पूरी तरह से डेजर्ट रॉक पार्क है, जहां पर दुर्लभ प्रजाति के वृक्ष, झाड़ियां, वनस्पतियां आदि लगी हुई है। सैकड़ों जीव-जन्तु, पक्षी आदि इस पार्क में निवास करते हैं।
यहां पर प्रकृति, जियो हेरिटेज पहाड़ी, दुर्लभ रेगिस्तानी वृक्ष, जीव-जन्तु, हेरिटेज सिटी वॉल, सिटी गेट और विश्व प्रसिद्ध मेहरानगढ़ इसके साथ बना हुआ है। दूसरी और प्राकृतिक जलस्रोत रानीसर, पदमसर, रासोलाई, देवकुण्ड और जसवन्तथड़ा जैसे स्मारक भी इसी भू-विरासत वेल्डेड टफ (मालानी इग्नीसियस) पर बने है।
चट्टानी भूमि
राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क लगभग 72 हेक्टेयर चट्टानी भूमि को कवर करता है। जोधपुर सैंड स्टोन की 17वीं शताब्दी सिंघोडिया महल की पुरानी विरासत इमारत को पार्क के आगंतुक केंद्र के रूप में उपयोग किया है।
राव जोधा मरुस्थल पार्क की विकास का उद्देश्य महत्वपूर्ण चट्टानों की भू.विविधता को संरक्षित करना और मेहरानगढ़ किले के आसपास के क्षेत्र की पारिस्थितिकी को बहाल करना था।