Railways:-राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र को देश के दूसरे हिस्से से जोड़ने के लिए बिछेगी नई रेलवे लाइन,व्यापारियों को मिलेगा फायदा
तीसरी लाइन से देश से जुड़ेगा फलोदी
आजादी के सात दशक बाद भी फलोदी और जैसलमेर जिलों से वर्तमान में दो जिलों जोधपुर व बीकानेर से ही रेल लाइनों का सीधा जुड़ाव है।
ऐसे में पश्चिमी राजस्थान के इन दो महत्वपूर्ण जिले के वाशिंदों, सैलानियों व सीमा के रक्षकों को बीकानेर व जोधपुर से होकर आना पड़ता है, लेकिन फलोदी से समदड़ी तक नई रेल लाइन का जुड़ाव होता है तो गुजरात से बाड़मेर, जैसलमेर से जमू कश्मीर तक की सीमाक्षेत्र तक पहुंचना भारतीय सैनिकों के लिए सुगम होगा।
ऐसे मिलेगा फलोदी के पर्यटन को बढ़ावा
जिले के इको टुरिज्म के विकास के साथ ही सैलानियों को भी यहां की प्राचीन धरोहरों, ऐतिहासिक मंदिरों और सांस्कृतिक विरासत से सैलानियों तो अनुभव देखने को मिलेगा। जिसमें फलोदी का यातनाम जैन मंदिर, दादा रामदेव मंदिर और पुराने हवेलियां और शीतकालीन प्रवास पर आने वाली हजारों डेमोसाइल क्रेन कुरजां सैलानियों को आकर्षित करती हैं। ऐसे में गुजरात व महाराष्ट्र जैसे समृद्ध राज्यों से सीधा रेल संपर्क बेहतर होने से देशभर से पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकेंगे।
मरुस्थलीय पर्यटन का प्रवेश द्वार बनेगा फलोदी
फलोदी को रेगिस्तान की एंट्री गेट के रूप में विकसित किया जा सकता है। जैसलमेर जाने वाले सैलानियों के लिए फलोदी एक नया ठहराव स्थल बनेगा, जहां वे स्थानीय संस्कृति और खानपान का आनंद ले सकेंगे। इससे रामदेवरा, ओसियां जैसे धार्मिक स्थलों को और अधिक सुगमता मिलेगी।
होटल और हॉस्पिटैलिटी उद्योग को बढ़ावा
फलोदी में होटल, गेस्ट हाउस, रेस्तरां और लोक कला आधारित बाजारों का विस्तार होगा, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि नए रोजगार भी उत्पन्न होंगे। वहीं हस्तशिल्प, लकड़ी के फर्नीचर, कपड़े पर डिजायनिंग, नमक और मसालों को सैलानी नए बाजार तक ले जा सकेंगे, जिससे कारीगरों और व्यापारियों को सीधा फायदा होगा।
इको टूरिज्म की दिशा में मरुस्थलीय क्षेत्र फलोदी जिले का नाम भी अब सुर्खियों में आने लगा है। ऐसे में प्रस्तावित फलोदी-समदड़ी रेल लाइन को मंजूरी के साथ साथ लाइन बिछाने का कार्य शुरू होता है तो सीमांत जिला मरुस्थलीय पर्यटन के प्रवेश द्वार के तौर पर अपनी पहचान कायम कर सकता है। ऐसे में रेल मंत्रालय की ओर से एक छोटी सी पहल फलोदी पर्यटन विकास के नए द्वार खोल सकती है।
तीसरी लाइन से देश से जुड़ेगा फलोदी
आजादी के सात दशक बाद भी फलोदी और जैसलमेर जिलों से वर्तमान में दो जिलों जोधपुर व बीकानेर से ही रेल लाइनों का सीधा जुड़ाव है।
ऐसे में पश्चिमी राजस्थान के इन दो महत्वपूर्ण जिले के वाशिंदों, सैलानियों व सीमा के रक्षकों को बीकानेर व जोधपुर से होकर आना पड़ता है, लेकिन फलोदी से समदड़ी तक नई रेल लाइन का जुड़ाव होता है तो गुजरात से बाड़मेर, जैसलमेर से जमू कश्मीर तक की सीमाक्षेत्र तक पहुंचना भारतीय सैनिकों के लिए सुगम होगा।
ऐसे मिलेगा फलोदी के पर्यटन को बढ़ावा
जिले के इको टुरिज्म के विकास के साथ ही सैलानियों को भी यहां की प्राचीन धरोहरों, ऐतिहासिक मंदिरों और सांस्कृतिक विरासत से सैलानियों तो अनुभव देखने को मिलेगा। जिसमें फलोदी का यातनाम जैन मंदिर, दादा रामदेव मंदिर और पुराने हवेलियां और शीतकालीन प्रवास पर आने वाली हजारों डेमोसाइल क्रेन कुरजां सैलानियों को आकर्षित करती हैं। ऐसे में गुजरात व महाराष्ट्र जैसे समृद्ध राज्यों से सीधा रेल संपर्क बेहतर होने से देशभर से पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकेंगे।
मरुस्थलीय पर्यटन का प्रवेश द्वार बनेगा फलोदी
फलोदी को रेगिस्तान की एंट्री गेट के रूप में विकसित किया जा सकता है। जैसलमेर जाने वाले सैलानियों के लिए फलोदी एक नया ठहराव स्थल बनेगा, जहां वे स्थानीय संस्कृति और खानपान का आनंद ले सकेंगे। इससे रामदेवरा, ओसियां जैसे धार्मिक स्थलों को और अधिक सुगमता मिलेगी।
होटल और हॉस्पिटैलिटी उद्योग को बढ़ावा
फलोदी में होटल, गेस्ट हाउस, रेस्तरां और लोक कला आधारित बाजारों का विस्तार होगा, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि नए रोजगार भी उत्पन्न होंगे। वहीं हस्तशिल्प, लकड़ी के फर्नीचर, कपड़े पर डिजायनिंग, नमक और मसालों को सैलानी नए बाजार तक ले जा सकेंगे, जिससे कारीगरों और व्यापारियों को सीधा फायदा होगा।