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राजस्थान में खरीफ की फसलों में कातरा कीट के प्रकोप, जानें कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार समाधान 

नियंत्रण के लिए कृषि विभाग द्वारा विस्तृत एडवाइजरी जारी-प्रकाश पाश क्रिया व रासायन से करें नियंत्रण

 
राजस्थान में खरीफ की फसलों में कातरा कीट के प्रकोप, जानें कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार समाधान 

Rajasthan News:  जिले में खरीफ फसल ग्वार, बाजार, मोठ, मुंगफली इत्यादि में कहीं-कहीं कातरा के प्रकोप की सूचना प्राप्त होने पर कृषि विभाग व कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में किसानों के खेतों पर रैपिड रोविंग सर्वे कर कातरा के प्रकोप का स्तर जाना व नुकसान क्षेत्र का सघन निरीक्षण किया।

रैपिड रोविंग सर्वे टीम में संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी, एसकेआरएयू के वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डॉ वीर सिंह यादव, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ एम एल रेगर, सहायक निदेशक कृषि रघुवरदयाल सुथार, कृषि अधिकारी रामनिवास गोदारा, सहायक कृषि अधिकारी हितेश जांगिड़ ने श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में उपनी, गुसाईसर, जसरासर, श्रीडूंगरगढ़ रोही क्षेत्र में प्रभावित किसानों के खेतों में कातरा प्रकोप की स्थिति का निरीक्षण किया।

जिले में श्रीडूंगरगढ़ के खेतों में कातरा का प्रकोप बिखरे हुए क्षेत्र में नजर आया है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी के अनुसार कातरा कीट के पतंगे वर्षा ऋतु की शुरुआत में विशेष रूप से पहली अच्छी वर्षा के बाद जमीन से निकलते हैं और प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं। कातरा कीट खरीफ फसलों में मोठ, मूंग, बाजरा, ग्वार, तिल की फसलों के लिए नुकसानदायक है।

मादा कीट

एक बार में 600 से 700 सौ अंडे देती है, जिनसे 2 से 3 दिन में लटें निकल आती हैं। मादा पतंगें पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती हैं, जो पीले रंग के होते हैं और पोस्त के बीज जैसे दिखते हैं। इन अंडों से सूंडियां या लार्वा या लटें निकलती हैं, जो पौधों की पत्तियों को खाती हैं। इसके अलावा इसकी लटें कीड़े के बच्चे फसलों की पत्तियों को कुतरकर नष्ट कर देती हैं, जिससे पौधे सूखकर मर जाते हैं।

नियंत्रण हेतु उपाय

सहायक निदेशक उद्यान मुकेश गहलोत ने बताया कि मानसून की शुरुआत में कातरे के पतंगे जमीन से निकलते हैं। खरीफ की फसलों को खासतौर से दलहनी फसलों में कातरे का प्रकोप होता है। इस कीट की लट वाली अवस्था नुकसान करती है। जोन I सी की खरीफ फसल पैकेज आफ प्रैक्टिसेज के अनुसार कातरे का नियंत्रण निम्न प्रकार कर सकते हैं‌।

कातरे के पंतगों का नियन्त्रण

मानसून की वर्षा होते ही कातरे के पतंगों का जमीन से निकलना शुरू हो जाता हैं। इन पतंगों को नष्ट कर दिया जाये तो फसलों में कातरे की लट का प्रकोप बहुत कम हो जाता है, इसकी रोकथाम प्रकाश पाश क्रिया से संभव है। पतंगों को प्रकाश की ओर आकर्षित करें। खेत की मेड़ों, चारागाहों व खेतों में गैस, लालटेन या बिजली का बल्ब जलायें (जहां बिजली की सुविधा हो) तथा इनके नीचे मिट्टी के तेल मिले पानी की परात रखें ताकि रोशनी पर आकर्षित हो एवं जलकर नष्ट हो जायें।

कातरे की लट का नियन्त्रण

कातरे की लट की छोटी अवस्था:

खेतों के पास उगे जंगली पौधे एवं जहां फसल उगी हो वहां पर अंडों से निकली लटों पर इसकी प्रथम व द्वितीय अवस्था में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण दवा का 6 किलो प्रति बीघा की दर से भुरकाव करें। बंजर जमीन चरागाह में उगे जंगली पौधों से खेतों पर कातरे की लट के आगमन को रोकने के लिए खेत के चारों तरफ खाई खोदें एवं खाईयों में मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण भुरक दीजिये ताकि खाई में गिरकर आने वाली लटे नष्ट हो जायें।

कातरे की लट की बड़ी अवस्था:-

खेतों से लटें चुन-चुनकर एवं एकत्रित कर मिट्टी के तेल मिले (5 प्रतिशत) पानी में डालकर नष्ट करें। निम्नलिखित दवाइयों में से किसी एक दवा का भुरकाव/ छिड़काव करें। क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 6 किलो का प्रति बीघा भुरकाव करें। जहां पानी की सुविधा हो वहां क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 250 मि. ली. प्रति बीघा का छिड़काव कर नियंत्रण किया जा सकता है।