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 Raajsthan New City:  राजस्थान में 289 गांवों की इंच इंच धरती को जोड़कर बनेगा नए शहर का मास्टर प्लान, मिलेगा इस शहर को लाभ 

केडीए का गठन कर अधिकारियों की नियुक्ति समेत अन्य कार्य शुरू किए गए। अब केडीए की सीमा में शामिल किए गए आसपास के 289 गांवों को जोड़कर शहर का मास्टर प्लान बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
 
केडीए का गठन कर अधिकारियों की नियुक्ति समेत अन्य कार्य शुरू किए गए। अब केडीए की सीमा में शामिल किए गए आसपास के 289 गांवों को जोड़कर शहर का मास्टर प्लान बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

Rajasthan News : कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) की ओर से कोटा शहर का नया मास्टर प्लान तैयार करने में करीब सवा दो साल का समय लगेगा। इस दौरान शहर का इंच इंच नापा जाएगामा स्टर प्लान तैयार होने के बाद कोटा के विकास की इबारत लिखी जा सकेगी। कोटा में बड़े प्रोजेक्ट डिजाइन करने का काम भी इसी मास्टर प्लान पर निर्भर है। 

गत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह माह में कोटा को नगर विकास न्यास से कोटा विकास प्राधिकरण बना दिया। इसके बाद विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता व चुनाव के चलते प्राधिकरण बनाने का काम अटक गया।

प्रदेश में सरकार केडीए का गठन कर अधिकारियों की नियुक्ति समेत अन्य कार्य शुरू किए गए। अब केडीए की सीमा में शामिल किए गए आसपास के 289 गांवों को जोड़कर शहर का मास्टर प्लान बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

सवा दो साल में नापेंगे इंच-इंच

केडीए की ओर से शहर में प्राधिकरण की सीमा में शामिल किए गए कोटा और बूंदी जिले के 289 गांवों को जोड़ते हुए कोटा का नया मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। इसमें कोटा जिले की पंचायत समिति लाडपुरा, बूंदी जिले के केशवरायपाटन एवं तालेड़ा पंचायत समिति क्षेत्र समेत आसपास के गांव शामिल किए जाएंगे। 

इससे 1.71 लाख हैक्टेयर से अधिक भूमि कोटा शहर में शामिल हो गई है। नया मास्टर प्लान यूआईटी के 2031 तक की योजनाओं के लिए बनाए गए मास्टर प्लान की जगह लेगा। पूरा मास्टर प्लान भविष्य में 2047 तक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाएगा। इसमें लोगों की तमाम सुविधाओं व भविष्य की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

अगस्त 2027 में अस्तित्व में आएगा मास्टर प्लान

मास्टर प्लान बनाने के लिए केडीए की ओर से विशेषज्ञों को 27 माह का समय दिया जाएगा। यदि तय सीमा में काम पूरा कर भी लिया गया तो मास्टर प्लान अगस्त 2027 के आसपास अस्तित्व में आएगा। इस कार्य पर 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होगी। केडीए की ओर से मास्टर प्लान की निविदा टू बिड प्लान पर आधारित रहेगी।