Rajasthan News : राजस्थान के इस शहर में स्थापित होगी जीरा मंडी, नहीं जाना पड़ेगा गुजरात
कृषि उपज मण्डी समिति बाड़मेर की ओर से जीरा व्यापारियों के लिए लीज पर भूखण्ड आवंटन के लिए फरवरी-2017 में आवेदन प्रस्तुत किए। इसके बाद जुलाई 2017 में करीब 77 भूखण्डों को आवंटन किया गया था। जिसमें 19 दुकानों को आवंटन नीलामी से किया गया था।
जिसमें कृषि उपज मण्डी को करीब सवा पांच करोड़ रुपए की आय हुई। जबकि 43 भूखण्ड व्यापारियों को आवंटित किए गए थे, लेकिन शिकायत के बाद यह भूखण्ड निरस्त कर दिए। इसके बाद यह मामला न्यायालय में चला गया। लंबे इंतजार के बाद अप्रेल 2023 में कृषि मंडी स्तर पर मामला सुलझ गया है। हालांकि 9 भूखंडों का मामला अभी विवादित है।
वर्ष-2016 में पारित हुआ था प्रस्ताव
मण्डी प्रांगण में जीरा मण्डी निर्माण के लिए वर्ष-2016 में कृषि मंडी समिति ने प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव के तहत 14 बीघा भूमि पर जीरा मण्डी में विभिन्न निर्माण कार्य करवा कर करीब 12 करोड़ रुपए खर्च करने थे। अब कृषि मंडी में दुकानों का निर्माण भी हो गया है।
हर साल गुजरात सरकार कमा रही थी राजस्व
बाड़मेर में जीरा मंडी नहीं होने पर सरकार को राजस्व का भी बड़े स्तर पर नुकसान हो रहा था। क्योंकि बाड़मेर-जैसलमेर के किसान जीरे की फसल उत्पादन होने के बाद बेचने के लिए गुजरात जाने के लिए मजबूर थे, क्योंकि यहां स्थानीय स्तर पर मंडी नहीं होने की स्थिति में भाव नहीं मिल पाते थे।
ऐसे में हर साल जीरे पर मंडी टैक्स गुजरात सरकार वसूल रही थी। ऐसी स्थिति में बाड़मेर से हर साल गुजरात सरकार को 15 करोड़ से अधिक राजस्व मिल रहा था। अब बाड़मेर जीरा मंडी स्थापित होने से यह राशि राजस्थान सरकार को मिलेगी।
हर साल 20 लाख क्विंटल का उत्पादन
बाड़मेर जिले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2.41 लाख हैक्टेयर में जीरे की बुवाई होती है। ऐसे में करीब 22 लाख क्विंटल से ज्यादा जीरे के उत्पादन की संभावना रहती है। हालांकि मौसम के बदलने या खराब होने पर करीब 20 लाख क्विंटल की संभावना रहती है। ऐसे में बाड़मेर में हर साल 20 लाख क्विंटल जीरा उत्पादन होता है।