श्री करणी माता जी की भौम की मातृभाषा राजस्थानी को मान्यता मिले-कमल रंगा
उन्होंने बताया कि करोड़ों लोगों की जन-भावना, अस्मिता एवं सांस्कृतिक पहचान मातृभाषा राजस्थानी को शीघ्र संवैधानिक मान्यता मिले और यह प्रदेश की दूसरी राजभाषा घोषित की जानी चाहिए।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाआंे में अपना अलग स्थान रखने वाली करोड़ों लोगों की मातृभाषा राजस्थानी जिसका अपना वैभवपूर्ण साहित्यिक इतिहास है, विशाल शब्दकोष है, समृद्ध व्याकरण है और साथ ही प्राचीनकाल, मध्यकाल एवं आधुनिक काल में राजस्थानी का साहित्य उच्च कोटि का रहा है और वर्तमान में भी है। इसी तरह वैज्ञानिक दृष्टि से राजस्थानी भाषा संपन्न है। ऐसी स्थिति में इस भाषा को शीघ्र मान्यता मिलनी चाहिए।
रंगा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी अनुरोध करते हुए राजस्थानी को प्रदेश की दूसरी राजभाषा शीघ्र घोषित करने की मांग की। रंगा ने कहा कि दूसरी राजभाषा हेतु देश के संविधान में स्पष्ट प्रावधान है। अतः उसका उपयोग करते हुए इस बाबत शीघ्र कार्यवाही की जानी चाहिए।