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Rajasthan में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू, खेतों में दाल दें ये चीज, अधिक होगी पैदावार! जाने एक्सपर्ट की राय 

इस फसल का बढ़ सकता है रकबा

 
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Rajasthan News: Alwar: राजस्थान में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी है। खरपतवारों को हटाने और कृषि उपकरणों की मरम्मत का काम चल रहा है। अलवर जिले के किसान बाजरा और कपास सहित अन्य फसलों के लिए खेतों की तैयारी कर रहे हैं। अगर इस समय किसान भाई, अपने खेतों में गोबर की खाद डालनी शुरू कर दें तो इससे पैदावार भी बढ़ेगी और खेत की उर्वरता भी बढ़ेगी। 

किशनगढ़ बास के सहायक कृषि अधिकारी राजेंद्र बसवाल ने कहा कि बारिश से पहले गोबर की जितनी अधिक सड़ी और काली खाद खेतों में डाली जाएगी, उतना ही बेहतर परिणाम होगा। यह उर्वरक बारिश के बाद मिट्टी में अच्छी तरह से अवशोषित हो जाता है। इससे मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है। गोबर की खाद की कम से कम पाँच ट्रॉलियों को एक बीघा खेत में रखा जाना चाहिए। खेत में जैविक सामग्री जितनी अधिक होगी, फसल की उत्पादकता उतनी ही अधिक होगी।

गुणवत्तापूर्ण बीजों की खरीद 
कृषि अधिकारी ने कहा कि बाजार में पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि वे पंजीकृत दुकानों से बीज खरीदें और उसी के लिए एक पुष्ट बिल प्राप्त करें। ऐसा करके यदि बीज में कोई खराबी पाई जाती है तो संबंधित विक्रेता पर नियमों के तहत कार्रवाई की जा सकती है। खरीफ सीजन से पहले विभाग द्वारा उर्वरकों और बीजों के नमूने लिए जा रहे हैं और प्रयोगशालाओं में उनकी गुणवत्ता की जांच की जा रही है। अब तक जांचे गए सभी नमूने मानकों पर खरे उतरे हैं।

बाजरे का उत्पादन बढ़ने की संभावना 
पिछले साल 8300 हेक्टेयर भूमि पर बाजरा बोया गया था। इस बार कपास का क्षेत्र कम होने के कारण बाजरे की बुवाई का क्षेत्र बढ़ सकता है। किसानों की बदलती प्राथमिकताओं के साथ फसलों का रकबा भी बदल रहा है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को समय पर जानकारी और सहायता प्रदान की जा रही है ताकि वे सही निर्णय ले सकें।

कपास की बुवाई शुरू, रकबे में गिरावट की संभावना 
अलवर जिले में हल्की बारिश के बाद किसानों ने कपास की बुवाई शुरू कर दी है। इसके लिए बीज और उर्वरकों की खरीद की जा रही है। लेकिन खैरथल और तिजारा क्षेत्रों में इस बार कपास का रकबा कम होने की उम्मीद है। पिछले साल लगभग 1200 हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती की गई थी। लेकिन इस बार यह 50 प्रतिशत से कम है। इसका मुख्य कारण बाजरे का अच्छा बाजार मूल्य और प्याज की ओर बढ़ती बुवाई है।