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राजस्थान के 19 जिलों की अचानक चमक उठी किस्मत,  केंद्र से इस प्रोजेक्ट के लिए मिले 16,053 करोड़ रूपए 

इस परियोजना में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली के 29 जिलों को शामिल किया गया हैं. राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, भरतपुर, दौसा, उदयपुर, झुंझुनूं, सीकर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, पाली, राजसमन्द, सवाई माधोपुर, करौली और अलवर जिले इस महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा होंगे.
 
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Rajasthan News: राजस्थान के लिए इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है।  बता दे की अरावली पर्वतमाला (Aravalli Range) को डिग्रेडेशन से बचाने के लिए केंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण योजना शुरू करने जा रही है. जिसका खासतौर सबसे जायदा फायदा राजस्थान को पहुंचने वाला है।  वहीँ इसके तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक को भी इसका लाभ मिलने वाला है। 


अधिक जानकरी के लिए पाठकों को बता दे की यह प्रोजेक्ट 1400 किलोमीटर लंबी व 5 किमी चौड़ी अरावली ग्रीन वॉल (Aravali Green Wall) बनाने का है. वहीँ सरकार ने अब इसकी तैयारी भी शरू कर दी है। 


होंगेए विकास कार्य 

अधिक जानकारी के लिए बता दे की इसके तहत, अरावली पर्वतमाला में जैव विविधता (Biodiversity) बनाएं रखने के लिए पौधारोपण, चैक डेम निर्माण और औषधीय पौधे लगाने जैसे विकास  कार्य करवाएं जाएंगे. Rajasthan News

राजस्थान के ये जिले शामिल
इस परियोजना में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली के 29 जिलों को शामिल किया गया हैं. राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, भरतपुर, दौसा, उदयपुर, झुंझुनूं, सीकर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, पाली, राजसमन्द, सवाई माधोपुर, करौली और अलवर जिले इस महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा होंगे. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) अरिजीत बनर्जी ने इस संबंध में संबंधित जिलों के उप बन संरक्षकों को आदेश जारी किए हैं. Rajasthan News

लोगों की आये में होगी विर्धि 
पानीपत से लेकर गुजरात के पोरबन्दर तक ग्रीन वॉल बनाई जाएगी. अरावली ग्रीन वॉल परियोजना से जैव विविधता में इजाफा होगा और लोगों को रोजगार व आय के नए अवसर मिलने समेत कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित (Absorbed) करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण से निपटने के लिए भी मदद मिलेगी. Rajasthan News

अरावली की पहाड़ियों की रक्षा क्यों जरूरी?
अरावली विश्व की सबसे पुरानी पहाड़ी में से एक है. करीब 700 किलोमीटर फैले इस पहाड़ी को सेंट्रल इंडिया का फेफड़ा भी कहा जाता है. लेकिन अवैध अतिक्रमण, पेड़ो की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के शोषण ने इस पहाड़ी को लूट लिया. साल 1999-2019 के बीच अरावली के वन क्षेत्र में 0.9% की गिरावट आई है. साथ ही 1975 से शहरी विस्तार और खनन के कारण सेंट्रल रेंज में 32% की भारी गिरावट दर्ज की गई. 


 

16,053 करोड़ रुपये का बजट
अरावली पर्वतमाला में सबसे ज्यादा डिग्रेडेशन उदयपुर में हुआ है. अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पहले चरण में 16,053 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है. पहले चरण में 75 जलाशयों का सुधार भी होगा. चित्तौड़गढ़ उप वन संरक्षक के अधीन आने वाले बड़ीसादड़ी के सीता माता अभयारण्य का करीब 1500 हैक्टेयर क्षेत्र इस परियोजना में शामिल किया गया. Rajasthan News