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राजस्थान सरकार की यह योजना पर्यटकों को दे रही परिवार जैसा माहौल, महमान नवाजी के साथ कर रहे कमाई 

पर्यटन विभाग की ओर से संचालित इस योजना के तहत आवेदन लिए गए थे, जिसमें 12 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। अभी थानागाजी, टहला, राजगढ, अलवर शहर सहित अन्य स्थानों पर पेइंग गेस्ट हाउस का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत पेइंग गेस्ट हाउस चलाने के लिए पर्यटन विभाग कार्यालय में पंजीयन करवाना होता है।

 
राजस्थान सरकार की यह योजना पर्यटकों को दे रही परिवार जैसा माहौल, महमान नवाजी के साथ कर रहे कमाई 

Rajasthan News: हमारे देश में अतिथि को भगवान का दर्जा दिया जाता है। इसी कारण अतिथि के स्वागत-सत्कार की परंपरा रही है। यही परंपरा अब लोगों के रोजगार का साधन बन रही है। 

अलवर शहर में पेइंग गेस्ट योजना के प्रति रुझान बढ़ा है। कई लोग अपने घर में पेइंग गेस्ट खोल कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। वर्तमान में करीब आधा दर्जन से ज्यादा पेइंग गेस्ट हाउस का संचालन किया जा रहा है। जिसमें लोग पर्यटकों की मेहमान नवाजी कर हर महीने 25 से 30 हजार रुपए कमाई कर रहे हैं।

पर्यटन विभाग में करवाना होता है पंजीयन 

पर्यटन विभाग की ओर से संचालित इस योजना के तहत आवेदन लिए गए थे, जिसमें 12 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। अभी थानागाजी, टहला, राजगढ, अलवर शहर सहित अन्य स्थानों पर पेइंग गेस्ट हाउस का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत पेइंग गेस्ट हाउस चलाने के लिए पर्यटन विभाग कार्यालय में पंजीयन करवाना होता है।

कम पैसे में मिल रही अच्छी मेहमान नवाजी 

सैर-सपाटे के लिए आने वाले आर्थिक रूप से मजबूत पर्यटक तो बडे और महंगे होटलों का खर्चा वहन कर सकते हैं लेकिन सामान्य वर्ग के पर्यटकों के लिए महंगे होटलों में ठहरना मुश्किल होता है। 

ऐसे में वे पेइंग गेस्ट योजना में मेहमान बनकर ठहरना पसंद कर रहे हैं। ये परिवार पूरी आवभगत से पर्यटकों को घर की रसोई में बना खाना खिलाते हैं। इन्हें प्रति पर्यटक 300 से 500 रुपए तक की कमाई भी होती है। ज्यादातर पर्यटकों को राजस्थानी भोजन दाल, बाटी, चूरमा, दाल-चावल के साथ उनकी पसंद की रोटी परोसी जाती है।

पर्यटकों को मिल रहा घर जैसा माहौल

अलवर शहर में पेइंग गेस्ट योजना के तहत गेस्ट हाउस चलाने वाले विजय बताते हैं कि अलवर में दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। इनमें विदेशी पर्यटकों की भी बड़ी संख्या है। घर से दूर रहने के कारण ऐसे पर्यटक घर-परिवार और खान-पान की कमी महसूस करते हैं। ऐसे में हम पर्यटकों को घर जैसे माहौल में रखते हैं जो उन्हें बहुत पसंद आती है। पर्यटकों को अलवर की विरासत व संस्कृति से भी रू-ब-रू करवाया जाता है