भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द, जवाबी शुल्क से पहले करार की संभावना
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्डलटिनक ने संकेत दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता 9 जुलाई से पहले हो सकता है, जब जवाबी शुल्क पर 90 दिनों की रोक हटने वाली है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा, क्योंकि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।
लटिनक ने 'अमेरिका-भारत स्ट्रैजिक पार्टनरिशप फोरम' में बोलते हुए कहा कि सामान्यतः ऐसे समझौतों में दो से तीन साल लगते हैं, लेकिन भारत और अमेरिका इसे एक महीने में पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 4 से 9 जुलाई केबीच समझौतेकी कोशिश करने वालों को कम लाभ होगा, इसिलए भारत की तत्परता सराहनीय है।
भारत इस समय जल्द से जल्द शुरुआती व्यापार समझौतेको अतिम रूप देना चाहता है ताकि 9 जुलाई सेलगने वाले 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क से बचा जा सके। इसी सिलिसले में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि मंडल इस सप्ताह के अंत में भारत आनेवाला है, जिससे वार्ताओं को गित मिलेगी।
हॉवर्ड लटिनक ने कहा कि अमेरिका भारत के बाजार में अधिक पहुंच चाहता है, जबकि भारत भी कुछ अमेरिकी बाजार क्षेत्रों में विशेष पहुंच की मांग कर रहा है। अमेरिका विशेष रूप से भारत के कृषि बाजार में अपनी कंपिनयों की पहुंच को प्राथिमकता देता है। इसके लिए दोनों देशों को राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत होगी।
उन्होंने माना कि अमेरिका में किसान और पशुपालक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं, लेकिन दोनों पक्ष मिलकर ऐसा समाधान निकाल सकते हैं जो राजनीतिक रूप से भी स्वीकार्य हो।
लटिनक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच सकारात्मक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि इन संबंधों ने व्यापार वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाया है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब भी शुल्क के मामले में अत्यिधक संरक्षणवादी रवैया अपनाता है, और इसी कारण दोनों देशों को शुल्कों को उचित स्तर पर लाना होगा ताकि व्यापारिक भागीदारी को मजबूती मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका उन्नत विनिर्माण को देश में वापस लाना चाहता है, लेकिन कुछ उत्पाद श्रेणियों का निर्माण भारत में भी लाभकारी हो सकता है। इस संभावित व्यापारिक समझौते से दोनों देशों को विविध उद्योगों में व्यापक लाभ मिलने की उम्मीद है।