google.com, pub-1586814154292719, DIRECT, f08c47fec0942fa0
झट-पट

ग्राहक को डिलवरी में दिया पुराना फोन,फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट को लगा जुर्माना,कोर्ट ने माना सेवा में कमी

THE BIKANER NEWS:- बीकानेर। नये का पैसा लेकर ग्राहक को पुराना सैकंड हैंड मोबाइल डिलीवर करने के मामले में फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट को बड़ा झटका लगा है। दोनों कंपनियां केस हार गई हैं। मामले में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर ने उपभोक्ता को ऑर्डर के मुताबिक नया मोबाईल उपलब्ध ना करवा पाने को सेवा में कमी माना है। आयोग ने ऑनलाईन ऑर्डर में लापरवाही बरतने पर फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट कम्पनी पर मोबाईल की कीमत 8998 रूपए, शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के 3000 रूपए तथा 5000 रूपए परिवाद व्यय के रूप में परिवादिया को देने के आदेश दिए हैं। यह निर्णय आयोग के अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत, और सदस्य मधुलिका आचार्य और पुखराज जोशी ने सुनाया है। 
ये था मामला: पुष्पा मेन्सन, जे. एन.वी.सी. बीकानेर निवासी मनीषा सोनी ने 8998 रुपये का भुगतान कर फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट कम्पनी के माध्यम से सैमसंग गेलैक्सी एम 01 मोबाईल खरीद करने का ऑनलाईन ऑर्डर दिया था। मोबाइल मिलने पर परिवादिया ने मोबाईल की पैकिंग खोलकर देखी तो मोबाईल पुराना एवं उपयोग किया हुआ लग रहा था। मोबाईल पर किसी अज्ञात व्यक्ति की फोटो भी लगी हुई थी। वहीं सैमसंग फाइनेंस का बकाया लोन 5016 रूपए एवं ऑनर का नाम कुमार राहुल बताया जा रहा था। परिवादिया ने कंपनी से इसकी शिकायत की मगर कोई समाधान नहीं हुआ। इस पर परिवादिया ने उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली। नोटिस जारी हुए। 
फ्लिपकार्ट ने अपना जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि कंपनी के मध्य परिवादिया के साथ कोई अनुबंध नहीं है और परिवादिया कंपनी की उपभोक्ता नहीं है। कंपनी वस्तु की निर्माता अथवा विक्रेता नहीं है बल्कि वह तो मध्यस्थ के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का क्रियान्वयन एवं वहन करती है। वह व्यापारिक लेन-देन हेतु विक्रेताओं और खरीददारों को अपनी वेबसाइट द्वारा मंच प्रदान करती है। वह स्वयं किसी प्रकार की खरीद एवं बिक्री में प्रवृत्त नहीं रह

कंपनी केवल पंजीकृत विक्रेताओं को उनकी स्वेच्छा द्वारा ही अपनी वेबसाइट के माध्यम से बिक्री की अनुमति देती है, जहां वह अपनी रूचि की वस्तुएं बेच सकते हैं।
 
फ्लिपकार्ट का कारोबार शॉपिंग मॉल के समान है, जहां विभिन्न प्रकार की वस्तुएं अलग-अलग दुकानों में बेची एवं खरीदी जाती है। ठीक उसी प्रकार फ्लिपकार्ट केवल एक ऑनलाइन बाजार है तथा खरीद एवं बिक्री में किसी प्रकार से उसकी कोई भागीदारी नहीं है।
इसी प्रकार ई कार्ट कोरियर कंपनी ने अपना जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि ईकार्ट कंपनी एक कोरियर कंपनी है जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन द्वारा विक्रय किए गए विभिन्न उत्पादों के स्टोरेज, परिवहन एवं हैंडलिंग का कार्य करती है।
ईकार्ट कंपनी तो विक्रेता द्वारा ऑनलाइन विक्रय किए गए उत्पाद के भंडारण व परिवहन में मध्यस्थ की भूमिका निभाती है ।
किसी प्रकार के ऑफर व उत्पाद की गुणवत्ता के आश्वासन फ्लिपकार्ट कंपनी द्वारा दिए नहीं जाते हैं। ना ही किसी भी प्रकार से ई कार्ट कंपनी द्वारा दिया जाता है ।
परिवादिया ने ई कार्ट कंपनी के विरुद्ध स्पष्ट तौर पर किसी प्रकार की शिकायत अंकित नहीं की है। कंपनी का कार्य केवल उपभोक्ताओं द्वारा दिए गए पते पर वस्तुओं की डिलीवरी करवाना है और यदि ऐसा उत्पादन केश ऑन डिलीवरी द्वारा खरीदा गया है तो उसका मूल्य प्राप्त करना होता है। इसके अलावा विपक्षी कंपनी की समस्त समव्यवहार में किसी प्रकार की भूमिका नहीं रहती। इसलिए इस प्रकरण में ईकार्ट कोरिअर कंपनी को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है ताकि कंपनी को हैरान व परेशान किया जा सके।
जिस पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने निर्णय जारी करते हुए कहा कि परिवादिया निशा ने उक्त मोबाइल खरीद करने हेतु ऑर्डर फ्लिपकार्ट कंपनी को दिया है। बिल पर ऑर्डर थ्रू फ्लिपकार्ट लिखा हुआ है।
इस प्रकार फ्लिपकार्ट को परिवादिया द्वारा भुगतान करना प्रमाणित हो रहा है। वहीं ईकार्ट कोरियर कंपनी फ्लिपकार्ट के सामान का भंडारण व परिवहन का कार्य करती है। फ्लिपकार्ट के निर्देशानुसार माल सुपुर्द करना एवं उपभोक्ताओं से माल की कीमत प्राप्त कर कीमत सेलर को देना है।
इस प्रकार परिवादिया एवं दोनों कंपनियों के मध्य ग्राहक और उपभोक्ता – सेवक के संबंध स्थापित होना प्रकट है।
जिस पर उपभोक्ता न्यायालय ने सुनवाई करते हुए फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट कम्पनी को दोषी मानते हुए दोनों कंपनियों पर 16,998 का जुर्माना लगाकर जुर्माने की राशि परिवादिया को अदा करने के आदेश दिए हैं। परिवादिया की तरफ से पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी ने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button