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कब और किस दिन है राखी बांधने का शुभ मुहर्त बता रहे है ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र जी किराडू,अशोक कुमार जी ओझा

THE BIKANER NEWS:-भाई-बहन के अटूट रिश्ते के पर्व रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा। ज्योतिषाचार्यों एवं पंडितों के अनुसार सावन पूर्णिमा 30 अगस्त को सुबह 10.59 बजे से प्रारंभ होगी, जो 31 अगस्त को सुबह 7.26 बजे तक रहेगी। सावन पूर्णिमा प्रारंभ होते ही भद्राकाल प्रारंभ होगा, जो रात्रि 9.02 बजे तक रहेगा। सावन पूर्णिमा पर दिनभर भद्रा योग रहने के कारण लोगों में रक्षा बंधन के मुहूर्त को लेकर भ्रम की िस्थति बनी हुई है।रक्षा बंधन को लेकर कुछ विद्वान जहां 30 अगस्त की रात्रि को 9.02 बजे भद्रा काल समाप्त होने के बाद रक्षाबंधन के मुहूर्त को सही बता रहे है, वहीं कई विद्वान 30 अगस्त को ही मध्याह्न काल में साढे बारह बजे के बाद से रक्षाबंधन पर्व मनाने को उचित मान रहे है।इसके लिए वे शास्त्र सम्मत पक्ष भी रख रहे है। इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन के मुहूर्त को लेकर THE BIKANER NEWS आप तक पहुचा रहा है शहर के ज्योतिषाचार्यों एवं पंडित जी की शास्त्र सम्मत राय।

30 अगस्त को शास्त्र सम्मत

रक्षा बंधन पर्व 30 अगस्त को शास्त्र सम्मत है। भद्रोपरांत संभव न हो तो मध्यानात परत: शुभम इस परिहार वचन से दोपहर डेढ बजे बाद आवश्यकता में रक्षा बंधन किया जा सकता है। मृत्यु लोक की भद्रा के कारण इसकी समाप्ति पर करना शास्त्र सम्मत है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक कुमार ओझा नानकाणी

मध्याह्न काल बांध सकेंगे राखी

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में रक्षाबंधन का त्यौहार महत्वपूर्ण है। इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त को ही शास्त्रानुसार मनाया जाएगा। 31 अगस्त को शास्त्र सम्मत नहीं है। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 11 बजे प्रारंभ हो जाएगी। भद्रा रात्रि 9.02 बजे तक रहेगी। धर्मशास्त्रों में परिहार के रुप में अमृतवेला, शुभ चौघडि़या व मध्याह्न के बाद 12.45 बजे से बहने अपने भाइयों के राखी बांध सकती है। यह शास्त्रोक्त भी है। 31 अगस्त को राखी पूर्णत: शास्त्र विहीन है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक ओझा

मध्यानात परत शुभम

ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म ग्रंथों के आधार पर भद्रा में रक्षा बंधन एवं होलिका दहन नहीं किया जाता है। परन्तु विशेष परििस्थतियों में ज्योतिष शास्त्र निर्दिष्ट तथ्यों के अनुसार यदि पर्व के दिन सम्पूर्ण दिन में भद्रा हो तो भद्रा के परिहाय वाक्यों जो ज्योतिष शास्त्र के मुहूर्त ग्रंथों मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त मार्तण्ड, शीघ्र बोध, बाल बोध, मुहूर्त कल्पद्रुम आदि में लिखा है यदि भद्रा इन चार िस्थतियों में हो तो उसका कोई दोष नहीं होता है। इनमें स्वर्ग और पाताल में भद्रा का वास हो, प्रतिकूल काल वाली भद्रा हो, दिनार्घ के बाद भद्रा हो तथा भद्रा का पुच्छ काल हो। विशेष परििस्थति में परिहार वचनों मध्यानात परत शुभम के अनुसार भद्रा होने पर मध्याह्न काल उपरान्त आवश्यक कार्यों को किया जा सकता है। इस बार दोपहर 1 बजे बाद रक्षा बंधन किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू

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